भारत में लॉकडाउन के बाद जमीन की कीमतों में कितनी गिरावट आएगी?How much land prices will go down after lockdown in India?
इंडिया मे जामीन का कीमत में कटौती का यह आकलन रॉयटर्स ने अपने एक सर्वे में किया है। वहीं, संपत्ति को लेकर परामर्श देने वाली कंपनी एनरॉक के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण के कारण इस साल देश के सात बड़े शहरों में घरों की बिक्री में 35 फीसदी की गिरावट आ सकती है। पिछले एक दशक में यह सबसे बड़ी गिरावट होगी।
लेकिन कुछ दशक मे जामीन घरों साभी का बडी बढोतरी हूई रॉयटर्स के अनुसार, बीते कुछ दशकों में प्रॉपर्टी के रेट में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन कोरोना संकट की वजह से अब इसमें करेक्शन का दौर है। इस संदर्भ में रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म लिआस फोरास के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पंकज कपूर ने कहा कि देश के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रॉपर्टी की कीमतों में 10-20 फीसदी की कमी आ सकती है। जबकि जमीन की कीमतों में 30 फीसदी तक की कमी देखी जा सकती है।
पिछले साल एनबीएफसी संकट के चलते रियल एस्टेट कंपनियों के पास लिक्विडिटी की कमी से हालात बिगड़ गए थे। डेवलपर्स को छूट की पेशकश करनी पड़ रही थी। अब खरीदार बड़ी कटौती की उम्मीद कर सकते हैं।
बड़े शहरों में 25 फीसदी घटेगी बिक्री इंडिया के रिपोर्टर से सामझते है
भारत में कोरोना को रोकने के लिए 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है, जिसकी वजह से रेसिडेंशियल रियल एस्टेट को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। सेक्टर की रिकवरी को कम से कम एक से दो साल लग सकते हैं। मामले में एनरॉक ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर, मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन, कोलकाता, चेन्नई ओर बंगलूरू में बिक्री 25 फीसदी गिर जाएगी। बिक्री का आंकड़ा 2.61 लाख घरों से घटकर 1.96 रह सकता है। साथ ही पूणे और हैदराबाद में हाउसिंग सेल्स 35 फीसदी घटकर 1.7 लाख यूनिट रह सकती है। मालूम हो कि होमबॉयर घर खरीदने के अपने फैसले को टाल रहे हैं। लिहाजा, देश में घरों की ताजा आपूर्ति 2019 के मुकाबले करीब 25-30 फीसदी यानी 2.37 लाख इकाइयां कम रह सकती है।
एनरॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘‘नरम मांग तथा नकदी की खराब स्थिति से पहले से ही जूझ रहे भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र पर कोविड-19 के कारण भी प्रतिकूल असर देखने को मिल सकता है।’’
2.8 करोड़ वर्गफुट ही रह जाएगी ऑफिस स्पेस डिमांड
इस साल मकानों की बिक्री 35 फीसदी गिर सकती है। ऑफिस स्पेस की मांग में 30 फीसदी की कमी आएगी। वर्ष 2019 में नेट ऑफिस स्पेस 4 करोड़ वर्गफुट था जो कि इस साल घटकर 2.8 करोड़ वर्गफुट तक रह सकता है। रिटेल क्षेत्र 85 लाख वर्ग फुट से 64 फीसदी घटकर 31 लाख वर्गफुट रह सकता है। पहले यह क्षेत्र रियल एस्टेट में मंदी के बाद भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन महामारी की वजह से इनमें गिरावट आना तय है।