यह एक बहुत ही लालची और अमीर आदमी की कहानी है जो एक दिन संयोगवश एक परी से मिला। परी के बाल एक पेड़ की कुछ शाखाओं में फंस गए थे, जैसे ही उस अमीर आदमी को समझा कि यह और पैसा कमाने का मौका है, उसने परी से मदद के बदले में उसकी एक मांग पूर्ण करने के लिए कहा। उसने कहा कि, ‘मैं जिस भी वस्तु को छुऊं, वह सोने की बन जाए‘, और कृतज्ञता से भरी उस परी ने उसकी इच्छा पूरी कर दी।
वह लालची इंसान सभी पत्थरों और कंकड़ों को छूकर उन्हें सोने में परिवर्तित करते हुए अपनी पत्नी और बेटी को अपने नए वरदान के बारे में बताने के लिए घर की ओर भागा। घर पहुँचते ही, उसकी बेटी उसका स्वागत करने के लिए दौड़ती हुई बाहर आई, जैसे ही उसे अपनी गोद में लेने के लिए वह आदमी नीचे झुका, उसकी बेटी सोने की मूर्ति में परिवर्तित हो गई।उसे अपनी मूर्खता का एहसास हुआ और उसने अपने जीवन के बाकी दिन, उसका वरदान वापस लेने के लिए, परी की तलाश में बिता दिए।
कहानी से मिली सीख
लालच बुरी बला है।