एक बात जो धर्म ने विज्ञान से बेहतर हल की ! One thing that religion solved better than science
आज के दो प्रमुख वैज्ञानिकों, मशहूर भौतिकशास्त्री स्टीफ़न हॉकिंग और रिचर्ड डॉकिंस, ने धर्म का जमकर विरोध किया है.
तो क्या ये माना जाए कि आज के वैज्ञानिक केल्विन की तरह ही आस्था रखते हैं या आस्था और विज्ञान आज बहुत दूर हो गए हैं.
अमरीका के टेक्सस की राइस यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर एलीन एक्लंड ने साल 2005 में अमरीका के आला विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों में सर्वे किया, उन्होंने पाया कि 48% लोगों की धार्मिक आस्था थी और 75% लोग मानते थे कि धर्म से महत्वपूर्ण सच का पता चलता है.
वो कहती हैं, "ये कहना ग़लत होगा कि आज उन वैज्ञानिकों की संख्या ज़्यादा है जो ईसाई हैं. लेकिन निश्चित रूप से ऐसे वैज्ञानिक हैं जो अपने वैज्ञानिक काम को अपनी आस्था से जुड़ा हुआ मानते हैं."
अमरीकी आनुवांशिक वैज्ञानिक फ़्रांसिस कॉलिंस ने कहा था, "हमारे समय की एक बड़ी त्रासदी ये धारणा है कि विज्ञान और धर्म में संघर्ष होना ही चाहिए."
निरंतर संघर्ष?
तो क्या वाकई में विज्ञान और धर्म प्राकृतिक रूप से एक दूसरे के खिलाफ़ हैं?
स्टीफ़न हॉकिंग ने अपनी किताब 'द ग्रैंड डिज़ाइन' में लिखा है, "स्वाभाविक रचना ही वो वजह है कि कुछ न होने की जगह कुछ है, ये ब्रह्मांड क्यों है, हम क्यों हैं. ये ज़रूरी नहीं है कि हचलच पैदा करने और ब्रह्मांड को चलाने के लिए भगवान को बुलाया जाए."
ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर जॉन लेनक्स ने साल 2010 में लिखे एक लेख में हॉकिंग के तर्कों का विरोध किया.
लेनक्स ने कहा, "हॉकिंग के तर्कों के पीछे जो वजह है वो इस विचार में है कि विज्ञान और धर्म में एक संघर्ष है लेकिन मैं इस अनबन को नहीं मानता."
कुछ साल पहले वैज्ञानिक जोसेफ़ नीडहैम ने चीन में तकनीकी विकास को लेकर अध्ययन किया. वो ये जानना चाहते थे कि आखिर क्यों शुरुआती खोजों के बावजूद चीन विज्ञान की प्रगति में यूरोप से पिछड़ गया.