The words of jesus are very important |
प्रभु यीशु के अनेकों बातें कहीं गए हैं लेकिन उसमें कुछ महत्वपूर्ण बातें जिससे हमें जीवन में चलने के लिए प्रेरणा दायक बताता है ईसा मसीह के द्वारा प्रतिपादित जीवन मूल्यों में वैसे तो प्रत्येक प्राकृतिक संरचना के लिए प्रेमपूर्ण संबंधों का उल्लेख है, लेकिन 4 प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान दिया जाना प्रासंगिक होगा।
पहला बिंदु- जीवन में पूर्ण आस्था। जब तक स्वयं में और प्रकृति में विश्वास नहीं बनता है तब तक अस्तित्व को संकट से बाहर नहीं माना जाता है। सभी धर्मों में इस आवश्यकता को प्रमुखता के साथ रेखांकित किया गया है।
दूसरा बिंदु- जिस तरह स्वयं से प्रेम करते हैं वैसा ही सबसे किया जाना चाहिए। इस संदर्भ में 'पड़ोसी' के उल्लेख का अर्थ यही हो सकता है कि परिवार के बाद यदि जीवन में पहला व्यवहार किसी से होता है तो वह पड़ोसी ही होता है। जीवन से प्रेम स्वयं से प्रारंभ होकर यदि बाहरी जगत तक फैलता है तो अस्तित्व की सुनिश्चितता अधिक मजबूत होती है।
तीसरा बिंदु- शत्रुओं से स्नेह और दुख देने वाले के साथ सहानुभूति। इस तीसरे जीवन मूल्य का मकसद बहुत स्पष्ट है कि इस तरह हिंसा का प्रभाव घटता है और जीवन की सुरक्षा बढ़ती है, क्योंकि हिंसा का समाधान हिंसा से करना वैसा ही है जैसा आग को पेट्रोल से बुझाने का उपक्रम करना।
चौथा बिंदु- चौथा और अंतिम संदेश ईसाइयत ही नहीं हिन्दू धर्म में भी प्रमुखता से अंकित है कि जैसा करोगे, वैसा फल मिलेगा। स्वामी विवेकानंद के शब्दों में भी यही भाव है, 'केवल वही व्यक्ति सबकी अपेक्षा उत्तम ढंग से कार्य करता है जो पूर्णतया निःस्वार्थी है।'