google.com, pub-7094467079818628, DIRECT, f08c47fec0942fa0 ईसा मसीह को सूली पर क्यों चढ़ाया गया जानिए! Know why that Jesus was crucified!

ईसा मसीह को सूली पर क्यों चढ़ाया गया जानिए! Know why that Jesus was crucified!

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 Jesus was crucified


पुस्तक के अनुसार अलग-अलग राय दिए गए हैं लेकिन मानव अपने विचारों के अनुसार अलग अलग तरीका एवं कारण के अधार पर सोचते हैं जिसमें ईसाई धर्म को क्रिश्‍चियन धर्म भी कहते हैं। इस धर्म के संस्थापक प्रभु ईसा मसीह को माना जाता है। ईसा मसीह को पहले से चले आ रहे प्रॉफेट की परंपरा का एक प्रॉफेट माना जाता हैं। इब्रानी में उन्हें येशु, यीशु या येशुआ कहते थे परंतु अंग्रेजी उच्चारण में यह जेशुआ हो गया। यही जेशुआ बिगड़कर जीसस हो गया। आओ जानते हैं कि उन्हें सूली क्यों दी गई।

 
25 दिसंबर सन् 6 ईसा पूर्व को एक यहूदी बढ़ई की पत्नी मरियम (मेरी) के गर्भ से यीशु का जन्म बैथलहम में हुआ। कहते हैं जब यीशु का जन्म हुआ तब मरियम कुंआरी थीं। मरियम योसेफ की धर्म पत्नी थीं। बैथलहम इसराइल में यरुशलम से 10 किलोमीटर दक्षिण में स्थित एक फिलिस्तीनी शहर है। जब यीशु का जन्म हुआ था तो उस दिन को मेरी क्रिसमस कहा जाता है। रविवार को यीशु ने येरुशलम में प्रवेश किया था। इस दिन को 'पाम संडे' कहते हैं। शुक्रवार को उन्हें सूली दी गई थी इसलिए इसे 'गुड फ्रायडे' कहते हैं और रविवार के दिन सिर्फ एक स्त्री (मेरी मेग्दलेन) ने उन्हें उनकी कब्र के पास जीवित देखा। जीवित देखे जाने की इस घटना को 'ईस्टर' के रूप में मनाया जाता है। कहते हैं कि उसके बाद यीशु कभी भी यहूदी राज्य में नजर नहीं आए।
प्रारंभ : एक यहूदी बढ़ई की पत्नी मरियम (मेरी) के गर्भ से यीशु का जन्म बेथलेहेम में हुआ। ईसा जब 12 वर्ष के हुए, तो यरुशलम में 2 दिन रुककर पुजारियों से ज्ञान चर्चा करते रहे। 13 वर्ष की उम्र में वे कहां चले गए थे, यह कोई नहीं जानता। 13 साल से 30 साल की उम्र के मध्य में क्या किया, यह रहस्य की बात है।  बाइबल में उनके इन वर्षों के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं मिलता है। 30 वर्ष की उम्र में उन्होंने येरुशलम में यूहन्ना (जॉन) से दीक्षा ली। दीक्षा के बाद वे लोगों को शिक्षा देने लगे। ज्यादातर विद्वानों के अनुसार सन् 29 ई. को प्रभु ईसा गधे पर चढ़कर येरुशलम पहुंचे और वहीं उनको दंडित करने का षड्यंत्र रचा गया। अंतत: उन्हें विरोधियों ने पकड़कर क्रूस पर लटका दिया। उस वक्त उनकी उम्र थी लगभग 33 वर्ष। इसके तीसरे दिन उन्हें मेरी मेद्गलीन ने एक गुफा के पास जिंदा देखा और इसके बाद यीशु कभी नजर नहीं आए। अब सवाल यह उठता है कि उन्हें सूली क्यों दी गई या ईसा मसीह को सूली पर क्यों चढ़ाया?


 पहला कारण : कहते हैं कि लोगों के बीच लोकप्रिय ईसा मसीह ने नबूवत का दावा किया था, जिसके चलते यहूदियों में रोष फैल गया था। उस दौरान नबूवत का दावा करने वाले और भी कई लोग थे। नबूवत का दावा करना अर्थात नबी, ईशदूत, प्रॉफेट या पैगंबर होने की घोषणा करना। कहते हैं कि यहूदियों के कट्टरपंथियों को ईसा मसीह द्वारा खुद को ईश्वर पुत्र बताना अच्‍छा नहीं लगा। उधर, रोमनों को हमेशा यहूदी क्रांति का डर सताता रहता था, क्योंकि उन्होंने यहूदी राज्य पर अपना शासन स्थापित कर रखा था। इसी कारण रोमनों के गवर्नर पितालुस ने यहूदियों की यह मांग स्वीकार कर ली की ईसा को क्रूस पर लटका दिया जाए।

दूसरा कारण : एक थ्‍योरी यह भी कहती है कि ईसाया की बुक ओल्ड टेस्टामेंट के अनुसार कहते हैं कि येशु जब गधे के बच्चे पर बैठकर आते हैं येरुशलम में तो खजूर की डालियां उठाकर लोग उनका स्वागत किया जाता हैं, जो यह मान रहे थे कि यह बनी इस्राइल के तामाम दुश्‍मनों को हरा देगा। फिर यीशु जाते हैं टेम्पल मांउट के ऊपर और वे देखते हैं कि टेम्पल के जो आउटर कोटयार्ड है उसके अंदर रोमन टैक्स कलेक्टर बैठे हैं, मनी चेंजरर्स बैठे हैं और वहां पर हर तरह का करोबार हो रहा है। यह देखकर यीशु  को बहुत दु:ख होता है कि टेम्पल (पवित्र मंदिर) में इस तरह का कार्य हो रहा है तो वह अपना कबरबंध निकालकर उससे उन लोगों को मार-मार कर उन्हें वहां से निकाल देते हैं। बाद में जब रोमनों के गवर्नर को यह पता चला तो वे इसकी सजा के तौर पर यीशु को सूली देने का ऐलान कर देते हैं। उल्लेखनीय है कि इसराइल एक यहूदी राज्य है और येरुशलम उसकी राजधानी जिस पर रोमनों ने उसी तरह कब्जा कर रखा था जिस तरह की अंग्रेजों ने अन्य कई देशों पर कर रखा था।
हालांकि हम नहीं जानते हैं कि सच क्या है। उक्त बातें प्रचलित मान्यताओं पर आधारित हैं। परंतु यह तो सिद्धि होता है कि ईसा मसीह से एक ओर जहां यहूदी खफा थे वहीं रोमन भी। हालांकि यहूदियों का सजा देने का अपना तरीका होता है और वह अपने शुत्र की सजा खुद ही देते थे। ज्यादातर वे सजा के तौर पर संगसार करते थे।

क्या 25 दिसंबर ही है ईसा मसीह का जन्मदिवस?
हाल ही में बीबीसी पर एक रिपोर्ट छपी थी उसके अनुसार यीशु का जन्म कब हुआ, इसे लेकर एकराय नहीं है। कुछ धर्मशास्त्री मानते हैं कि उनका जन्म वसंत में हुआ था, क्योंकि इस बात का जिक्र है कि जब ईसा का जन्म हुआ था, उस समय गड़रिये मैदानों में अपने झुंडों की देखरेख कर रहे थे। अगर उस समय दिसंबर की सर्दियां होतीं, तो वे कहीं शरण लेकर बैठे होते। और अगर गड़रिये मैथुन काल के दौरान भेड़ों की देखभाल कर रहे होते तो वे उन भेड़ों को झुंड से अलग करने में मशगूल होते, जो समागम कर चुकी होतीं। ऐसा होता तो ये पतझड़ का समय होता। मगर बाइबल में ईसा के जन्म का कोई दिन नहीं बताया गया है। इतिहासकारों के अनुसार रोमन काल से ही दिसंबर के आखिर में पैगन परंपरा के तौर पर जमकर पार्टी करने का चलन रहा है। यही चलन ईसाइयों ने भी अपनाया और इसे नाम दिया 'क्रिसमस'।



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