Where did Jesus go when he became alive after death? |
प्रभु ईसा मसीह का जन्म, जीवन और मृत्यु सभी कुछ रहस्यमयी है। उन्होंने जीवनभर लोगों को प्रेम, दया, क्षमा और सेवा का पाठ पढ़ाया। उनके जीवन पर आज भी शोध होते रहते हैं। बहुत से लोग मानते हैं कि ईसा मसीह पुनर्जीवित होने के बाद भारत चले गए थे लेकिन इसमें कितनी सचाई है यह जानना मुश्किल है। हालांकि बहुत से विद्वान इस पर सवाल जरूर करते हैं। लेकिन माना यह जाता है कि वे प्रभु के राज्य स्वर्ग चले गए थे।
ईसा मसीह ने 13 साल से 29 साल उम्र के बीच तक क्या किया, यह रहस्य की बात है। बाइबल में उनके इन वर्षों के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं मिलता है। अपनी इस उम्र के बीच वे कहां थे? 30 वर्ष की उम्र में येरुशलम लौटकर उन्होंने यूहन्ना (जॉन) से दीक्षा ली। दीक्षा के बाद वे लोगों को शिक्षा देने लगे।
ज्यादातर विद्वानों के अनुसार सन 29 ई. को प्रभु ईसा गधे पर चढ़कर यरुशलम पहुंचे। वहीं उनको दंडित करने का षड्यंत्र रचा गया। उनके शिष्य जुदास ने उनके साथ विश्वासघात किया। अंतत: उन्हें विरोधियों ने पकड़कर क्रूस पर लटका दिया। ईसा ने क्रूस पर लटकते समय ईश्वर से प्रार्थना की, 'हे प्रभु, क्रूस पर लटकाने वाले इन लोगों को क्षमा कर। वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।'
- रविवार को यीशु ने येरुशलम में प्रवेश किया था। इस दिन को 'पाम संडे' कहते हैं। शुक्रवार को उन्हें सूली दी गई थी इसलिए इसे 'गुड फ्रायडे' कहते हैं और रविवार के दिन सिर्फ एक स्त्री (मेरी मेग्दलेन) ने उन्हें उनकी कब्र के पास जीवित देखा। जीवित देखे जाने की इस घटना को 'ईस्टर' के रूप में मनाया जाता है। उसके बाद यीशु कभी भी यहूदी राज्य में नजर नहीं आए। अर्थात 33 साल की उम्र के बाद वे कभी भी नजर नहीं आए। तब सवाल उठता है कि फिर वे कहां चले गए थे?
बाइबल में उनकी कहानी के कुछ ही किस्से मिलते हैं। पहला उनके पैदा होने की कहानी, दूसरा जब वे सात साल के थे तब वे एक त्योहार के समय मंदिर में जाते हैं, तीसरा जब में गधे पर चढ़कर यरुशलम पहुंचकर यहून्ना से बपस्तिमा लेते हैं, चौथा जब उनके शिष्यों के साथ वे रहते, उपदेश देते हैं, पांचवां जव वे अंतिम भोजन करते हैं और छठा जब उन्हें सूली पर लटका दिया जाता है अंत में सातवां जब वे फिर से जी उठते हैं। इसके बाद उनका शेष जीवन काल अज्ञात है। ईसाईयों की कहानी के अनुसार जीसस का पुनर्जन्म होता है। परंतु प्रश्न यह है कि इस पुनर्जन्म के बाद दोबारा वे कहां गायब हो गए। ईसाइयत इसके बारे में बिलकुल मौन है कि इसके बाद वे कहां चले गए और उनकी स्वाभाविक मृत्यु कब, कैसे और कहां हुई?
ईसाई जगत इस संबंध में चुप है कि वे 13 से 29 साल के बीच कहां थे और 33 साल के बाद वे कहां थे। जब वे जिंदा हो गए थे तो फिर कैसे पुन: उनकी मृत्यु हुई और उन्हें कब्र में दफना दिया गया? उनकी गुफा वाली कब्र तो खाली है। ईसाई समुदाय मानते हैं कि एक दिन ईसा मसीह पुन: यरुशलम लौट आएंगे क्योंकि वे जिंदा है।
ईसाइयों के लिए भी यह शहर बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह शहर ईसा मसीह के जीवन के अंतिम भाग का गवाह है। यहां चार घटनाएं घटी पहली यह कि उन्होंने यूहन्ना से दीक्षा ली, दूसरी यह कि वे गधे पर चढ़कर यहां पहुंचे, तीसरी यह कि यहां उन्हें सूली पर चढ़ाया, चौथी यह कि उन्हें मृत मानकर सूली पर से उतारकर उन्हें यहां कि एक गुफा में रखकर उसके उपर से एक बड़ा पत्थर लगा दिया था, पांचवीं यह कि वे इसी शहर के एक स्थान पर सूली पर से उतारे जाने के बाद जिंदा देखे गए और छठी यह कि उन्हें जहां जिंदा देखा गया था वहीं मान्यता अनुसार उन्हें दफना दिया गया।
दरअसल, ईसा मसीह को सूली पर से उतारने के बाद एक गुफा में रख दिया गया था। उस गुफा के आगे एक पत्थर लगा दिया गया था। वह गुफा और पत्थर आज भी मौजूद है। चर्च ऑफ द होली स्कल्प्चर उस गुफा से अलग है।